लंबे संघर्ष के बाद अर्चना देवी ने हासिल किया ये मुकाम, कच्ची झोपड़ी से निकलकर जीता वर्ल्ड कप

अंडर-19 वर्ल्ड कप क्रिकेट के फाइनल में भारतीय महिलाओं ने इंग्लैंड को 7 विकेट से हरा दिया। पहली बार भारतीय महिला टीम ने अंडर-19 वर्ल्ड कप जीता था और इसलिए सभी को अपनी उपलब्धि पर बहुत गर्व था।

सभी का मानना था कि भारतीय महिलाओं ने अथक परिश्रम के बाद सफलता अर्जित की है और आपको बता दें कि इस सफलता में भारत की अर्चना देवी का अहम रोल रहा है।

अर्चना देवी की आंखों में आंसू आ जाते हैं जब वह बताती हैं कि वह जहां हैं वहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कितनी मेहनत की है। अर्चना देवी के हालिया प्रदर्शन ने अंडर -19 विश्व कप में भारतीय टीम की सफलता में बहुत योगदान दिया है।

हम आपको बताना चाहेंगे कि अर्चना देवी ने 2008 में कैंसर के कारण अपने पिता को खो दिया और फिर 2017 में अपने छोटे भाई को। अर्चना का मानना है कि जब गांव में कुछ अनहोनी होती है तो सब उसकी मां को दोष देते हैं और सब कहते हैं कि अर्चना की मां एक महिला है।

एक जादूगरनी जो जादू टोना और टोटके करती है। हम आपको बताएंगे कि कैसे लंबे संघर्ष के बाद अर्चना ने यह मुकाम हासिल किया और अपने संघर्षों को बयां करते हुए उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े।

विश्व चैंपियनशिप जीतने वाली भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सदस्य अर्चना देवी के बड़े भाई रोहित ने एक इंटरव्यू में कहा कि अर्चना ने काफी संघर्ष के बाद यह मुकाम हासिल किया है। पिता की मृत्यु के कारण घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई थी।

अर्चना दिन-रात भैंस का दूध पीकर बिताती थी, इसलिए माँ ने उसे एक बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया। स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही क्रिकेट की प्रैक्टिस शुरू करने के बाद अर्चना ने अपनी मेहनत के बल पर वह मुकाम हासिल किया।

जिससे पूरा भारत उनकी सफलता पर गर्व महसूस कर रहा है और आज भारत के लोग उनकी जमकर तारीफ करते नजर आ रहे हैं।

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